Shiv Chalisa Lyrics: शिव चालीसा भगवान शिव की भक्ति में एक विशेष महत्व रखती है। यह 40 चौपाइयों (कविताओं) का एक संग्रह है जो भगवान शिव की महिमा, शक्ति और कृपा का वर्णन करती है। इस लेख में, हम शिव चालीसा के महत्व, इसके लाभ और इसे सही तरीके से कैसे पढ़ें, के बारे में चर्चा करेंगे।
शिव चालीसा का पाठ कैसे करें?
Shiv Chalisa का पाठ करने के लिए निम्नलिखित बातें ध्यान में रखें:
- शांत स्थान: एक शांत स्थान पर बैठें जहां आपको कोई बाधा न हो।
- साफ-सफाई: अपने शरीर और मन को शुद्ध रखें। स्नान करने के बाद पाठ करना शुभ होता है।
- आरती और पूजन: भगवान शिव की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीप जलाएं और उनका पूजन करें।
- संकल्प: भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा और प्रेम के साथ पाठ करने का संकल्प लें।
- ध्यान: पाठ के दौरान भगवान शिव का ध्यान करते रहें और पूरी श्रद्धा के साथ बोलें।
Shiv Chalisa Lyrics: शिव चालीसा लिखित मे पढ़े
||दोहा||
जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥
||चौपाई||
जय गिरिजा पति दीन दयाला ।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके ।
कानन कुण्डल नागफनी के ॥
अंग गौर शिर गंग बहाये ।
मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे ।
छवि को देखि नाग मन मोहे ॥
मैना मातु की हवे दुलारी ।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
सागर मध्य कमल हैं जैसे ॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ ।
या छवि को कहि जात न काऊ ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा ।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
किया उपद्रव तारक भारी ।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥
तुरत षडानन आप पठायउ ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥
आप जलंधर असुर संहारा ।
सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई ।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥
किया तपहिं भागीरथ भारी ।
पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं ।
सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला ।
जरत सुरासुर भए विहाला ॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई ।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा ।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
सहस कमल में हो रहे धारी ।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई ।
कमल नयन पूजन चहं सोई ॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर ।
भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी ।
करत कृपा सब के घटवासी ॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो ।
येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो ।
संकट से मोहि आन उबारो ॥
मात-पिता भ्राता सब होई ।
संकट में पूछत नहिं कोई ॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी ।
आय हरहु मम संकट भारी ॥
धन निर्धन को देत सदा हीं ।
जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी ।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥
शंकर हो संकट के नाशन ।
मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं ।
शारद नारद शीश नवावैं ॥
नमो नमो जय नमः शिवाय ।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
जो यह पाठ करे मन लाई ।
ता पर होत है शम्भु सहाई ॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी ।
पाठ करे सो पावन हारी ॥
पुत्र हीन कर इच्छा जोई ।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे ।
ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा ।
ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे ।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥
जन्म जन्म के पाप नसावे ।
अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी ।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥
||दोहा||
नित्त नेम कर प्रातः ही,पाठ करौं चालीसा ।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश ॥
मगसर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान ।
अस्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण ॥
|| श्री शिव चालीसा सम्पूर्ण ||
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शिव चालीसा का महत्व
Shiv Chalisa को भक्तों द्वारा भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पढ़ा जाता है। यह भक्ति गीत:
- शांति और सुख: इसे पढ़ने से मन में शांति और सुख का अनुभव होता है।
- दुखों का निवारण: यह भक्तों के दुखों को दूर करने और जीवन में सकारात्मकता लाने में मदद करता है।
- आध्यात्मिक विकास: नियमित रूप से शिव चालीसा का पाठ करने से आध्यात्मिक विकास होता है और भक्त भगवान शिव के करीब जाते हैं।
- संकट में सहारा: कठिन समय में शिव चालीसा का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा से संकट का निवारण होता है।
निष्कर्ष –
शिव चालीसा केवल एक भक्ति गीत नहीं है, बल्कि यह भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक साधन है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से न केवल भक्तों को आंतरिक शांति मिलती है, बल्कि उनके जीवन में कई सकारात्मक परिवर्तन भी आते हैं। यदि आप भी भगवान शिव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो शिव चालीसा का पाठ अवश्य करें।